बी.ए. इन एमसीजे तृतिय वर्ष. एसबी कॉलेज औरंगाबाद, यशवंतराव चव्हाण महाराष्ट्र मुक्त विद्यापीठ. नाशिक.
Friday, July 9, 2010
एक अभागा 'मोर' जो अपनी जिनेकी जंग हार गया . .
'मोर' यह देश का राष्ट्रिय पक्षी हैं , 'मोर' का नाम सुनते ही हमारी आखों के सामने अपने पंख फैलाकर अपनेही ताल में नाचता हुआ यह पक्षी दिखाई देता हैं , पहले खेत खलिहानों से , रस्तोसे जाते समय मोर आसानीसे दिखाई पड़ते थे । लेकिन अब मोरों की संख्या दिन ब दिन काम होती जा रही हैं । उसे कारण ही वैसे ही हैं एक तो मोर के पंख , मांस की हो रही तस्करी और दूसरा दुसरे वन्य जिवोसे खतरा । एसेही एक मोर के पीछे कुछ कुत्ते पड़े ,मोर अपनी जान बचाने के लिए पंख फडफडा ता हुआ रस्ते के एक पेट्रोल पम्प में घुस गया । वहाँ के कर्मचारियों ने उसे कुत्ते का निवाला होते होते बचा लिया लेकिन उसे भरी मात्र में चोटें आई थी कई जगोहोपर कुत्ते ने उसे जबरन कट लिया था । पम्प पर उसे धान के साथ पानी भी पिलाया लेकिन उसने उल्टियाँ कर दी पम्प मालिक ने तुरंत जाकर डोक्टर को लाया । करीब एक घंटे तक उसके उपर इलाज करवाया गया, लेकिन दो ढाई घन्टे में उसने अपनी गर्दन ढीली कर दी और इस दुनियासे हमेश हमेशा के लिए रुखसत हो गया। इसी दरम्यान पम्प मालिक ने वन विभाग को जख्मी मोर आनेकी सुचना दी और उसकी हालत नाजुक होने से डोक्टर भी साथ लानेको कहा ,लेकिन वन अधिकारी आये पर तब तक देश का राष्टीय पक्षी मोर अपनी जिनेकी जंग हार चूका था । इससे पहले भी इसी इलाके में बारा मोरोंकी जहरीला धान खानेसे मौत हुई थी ,तिन महिनोके बावजूद भी महाराष्ट्र का वन विभाग उनकी जाँच रिपोर्ट हासिल नही कर पाया, इससे वन विभाग का काम किस तरह से चलता होगा इसका अंदाजा आ सकता हैं। अगर इसी तरह मोर मरते रहे तो आने वाली नसलोंको 'मोर' यह राष्ट्रिय पक्षी कागजोपर ही देखना होगा इसमें कोई शक नही । ............... । अपनी राय पोस्ट करे
REPORTER
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment