Monday, August 30, 2010

२५०० मजदुरोकी साईं दरबार में गाँधी गिरी

शिर्डी में साईबाबा सन्थान के कुल २५०० कर्मचारीयोने अपनी मासिक पगार की बढ़ोतरी के लिए गाँधी गिरी का मार्ग अपनाया हैं , साईं बाबा की पालखी लेकर यह कर्मचारी साईं नाम जप आन्दोलन कर रहे हैं । पालखी गेट पर बारिश में भीगते हुए इनका यह अनोखा आन्दोलन शुरू हैं जिसकी साईं भक्त नही सरहना कर रहे हैं । करीब सात सालसे यह मजदूर ठेकेदारी पर काम करते है । इन मजदुरोको तिन से साडेतीन हजार रुपया महिना पगार मिलता हैं , बढ़ती हुई महगाई के जमानेमे इतनी कम पगारमे घर चलाना मुश्किल हुवा है इसलिए इन मुजदूरोको बरिशमे भीगते हुए अपने और अपने घरवालों के पेट की खातिर यह आन्दोलन करना पड़ रहा हैं । एक तरफ साईं बाबा सन्थान करोड़ो रूपया बहरी काम के लिए दान दे रहा हैं और दूसरी तरफ उसी सन्थान के मजदूरों को अपनी पगार बढ़ाने के लिए के लिए ऐसा आन्दोलन करना पड़ रहा हैं। इसे आप क्या कहेंगे ।

Tuesday, August 17, 2010

स्वाइन फ्लू से हालत गंभीर

महाराष्ट्र को फिर एक बार स्वाइन फ्लू ने अपने चपेटे में लिया हैं राज्य के सभी शहरोके साथ साथ अब ग्रामीण इलका भी स्वा इन फ्लू की चपेट में आ रहा हैं । अहमदनगर जिलेमे भी स्वा इन फ्लू अपने बाजु फैला रहा हैं । आज शिरड़ी में साईबाबा अस्पताल से एक स्वाइन फ्लू संदेह व्यक्ति की मौत हुई हैं । और एक महिला इसी अस्पतालमे ट्रीटमेंट ले रही हैं । जिला अस्पताल को इन दोनोके बारे में सूचना दी गई थी लेकिन सरकारी डॉक्टरो को इनकी टेस्ट करनेके लिए फुर्सत ही नहीं मिली । क्या करे बिचारे उन्हें सरकारी अस्पताल के बराबर अपना निजी अस्पताल भी देखना पड़ता हैं । अब डोक्टोरोकी लापरवाही की वजह से इस नौजवान की मौत स्वाइन फ्लू से हुई हैं या अन्य दूसरी बिमारीसे यह पता लाना मुश्किल हुआ हैं। सरकार आनेवाली एसी बिमारीसे लड़ने के लिए जीतोड़ दावे कर सकता हैं लेकिन सरकार इस सिस्टम में छुपे कामचोरो को सीधा नहीं कार सकता । और इसी लिए किसी न किसी वजह से हम खुद,या हमारे परिजन इस सरकारी सिस्टम का शिकार होते हैं ।

Saturday, August 14, 2010

स्वतंत्र दिन चिरायु हो


यह मेरे देशका तिरंगा जिसे दुनिया सलाम करती हैं । आज स्वतंत्र दिवस पर क्या हम दिलसे इसे याद करते हैं । जरा सोचिये जिन क्रातिकरियो ने अपने लहुसे इस धरतीको सीचा हैं,क्या हम उनके लहुके एक कतरेका हक अदा कर पाए हैं । 62 साल पहले अंग्रेज इस धरतीपर राज करते थे और आज कुछ राजनेता । क्या आपको लगता हैं दोनोमे कोई अंतर हैं ?